डिजिटल युग में पत्रों का महत्व दर्शाते हुए देवेन्द्रराज सुथार ने राज्य स्तर पर जीता प्रथम पुरस्कार

दिलीप डूडी / जालोर. बागरा कस्बे के होनहार युवा और साहित्यकार देवेन्द्रराज सुथार ने एक बार फिर अपनी लेखनी का लोहा मनवाते हुए भारतीय डाक विभाग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय ‘ढाई आखर’ पत्र लेखन प्रतियोगिता 2024-25 में राज्य स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में उन्होंने 'लेखन का आनंद : डिजिटल युग में पत्रों का महत्व' विषय पर एक प्रभावशाली पत्र लिखा, जिसे चीफ पोस्टमास्टर जनरल, जयपुर को भेजा गया था। उनके पत्र ने पारंपरिक पत्र लेखन की प्रासंगिकता, उसकी भावनात्मक गहराई और डिजिटल युग में इसकी महत्ता को बेहद सजीव रूप से व्यक्त किया।
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देवेन्द्रराज सुथार ने अपने पत्र में डिजिटल संचार के युग में पत्र लेखन की कमी को एक संवेदनशील मुद्दे के रूप में उठाया। उन्होंने तर्क दिया कि जहां ई-मेल, सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स ने संवाद को त्वरित और आसान बना दिया है, वहीं पारंपरिक पत्र लेखन की आत्मीयता और भावनात्मक गहराई कहीं न कहीं खो गई है। उन्होंने पत्र के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि पत्रों में शब्दों का चयन, हाथों की लिखावट और प्रतीक्षा का सुखद एहसास किसी भी डिजिटल माध्यम से नहीं मिल सकता।
गौरतलब है कि देवेन्द्रराज सुथार इससे पहले वर्ष 2017 में भी इसी प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त कर चुके हैं। इस बार की प्रतियोगिता में उनकी रचनात्मकता, अभिव्यक्ति की सजीवता और भाषा की उत्कृष्टता ने निर्णायक मंडल को प्रभावित किया, जिससे उन्होंने फिर से राज्य स्तर पर प्रथम स्थान हासिल किया।
इस उपलब्धि के लिए देवेन्द्रराज सुथार को भारतीय डाक विभाग द्वारा 25 हजार रुपये का नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। उनके इस सम्मान पर बागरा कस्बे में हर्ष का माहौल है। उनकी इस जीत से क्षेत्र के अन्य युवाओं को भी साहित्य और लेखन के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।
देवेन्द्रराज सुथार न केवल एक कुशल पत्र लेखक हैं, बल्कि वे कवि, निबंधकार और पत्रकार भी हैं। उनकी रचनाएँ ‘सेतु’ पत्रिका, ‘गर्भनाल’, ‘प्रभासाक्षी’ और ‘iChowk’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और वेब पोर्टलों में प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके लेखन में सामाजिक मुद्दों, राजनीति, शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कृति के प्रति गहरी संवेदनशीलता झलकती है।
उनकी कविताएँ ‘किताब’, ‘पेड़’, ‘सरकारी मशीन’ और ‘बेरोजगार’ जैसी रचनाएँ समाज की जमीनी हकीकत और मानवीय संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम बन चुकी हैं। इसके अलावा, वे विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की लेखन प्रतियोगिताओं में भी पुरस्कार जीत चुके हैं।
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देवेन्द्रराज सुथार की इस उपलब्धि से परिवार, शिक्षक, मित्रों और क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई है। पत्र लेखन प्रतियोगिता में शानदार सफलता प्राप्त करने के बाद देवेन्द्रराज सुथार ने कहा कि वे साहित्य और लेखन के क्षेत्र में और अधिक योगदान देना चाहते हैं। उन्होंने कहा, डिजिटल युग में भी पत्र लेखन की परंपरा को बनाए रखना आवश्यक है, क्योंकि यह केवल शब्दों का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि भावनाओं और आत्मीयता का प्रतीक है।